मुझे ऐसा लगता है लोकगीतों में गहरी आदिम स्मतियॉं बहुत दिनों तक बनी रहती हैं । अतीत में आवागमन और दूर संचार की सुविधाऍं न्यून थी । जीवन की कुशल क्षेम जानने के मौके बार बार नहीं मिलते थे । अकाल ,रोजगार , सत्ता परिवर्तन कई कारणों से लोगों का प्रवजन होता था । उन सब लोगों के साथ अंचल की यादें साथ जाती थी फिर चाहे भोजपुर के गिरिमिटया मजदूर हों या हो गुजरात से निमाड आने वाली जातियॉं । अंचल की स्म़तियॉं गीतों में धमकती रहती थी । निमाड के गीतों में गुजरात कैसे आता है -
कुण भाई जासे चाकरी
कुण भाई जासे गढ रे गुजरात
मोठा भाई जासे चाकरी
छोटा भाई जासे गढ रे गुजरात
यह गीत राखी के अवसर पर गाया जाता है ।
बालिकाओं के पर्व संजा में वे गाती हैं
चॉंद गयो गुजरात
की हिरनी का बडा बडा दात
की थारी बाई मारगी
की कूटगी संजा
तू थारा घर जा
या फिर रणुबाई का यह गीत
थारा काई काई रुप बखाणु हो रणुबाई
तू सोरठ देश सी आई हो
निमाड अंचल की कई जातियॉं अतीत में गुजरात से आई थी । कहॉ से कब ठीक ठीक किसी को पता नहीं। बस गीतों में वह याद वह सुवास बची रही । आज भी कई परिवारों के कुलदेवी देवता गुजरात में हैं । दरअसल जहॉ कुल देवता होते हैं उसी स्थान से जनता प्रवजन करती है यह अनुभव में आया है ।
यह सर्वेक्षण मैंने गोंड और कोरकू जनजाति में भी किया था । यह निष्कर्ष रहा ।
लोक एवं जनजातीय संसार, सामयिक मुद़दो और मित्रों से विचार विमर्श का एक अनौपचारिक प्रयास
शनिवार, 31 अक्तूबर 2009
शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009
भुआणा अंचल का मंडप गीत
सरग भवन्ित हो गीधनी
एक संदेशो लई जाव
सरग का दाजी ख यो कयजो
तुम घर छोरी को याव
जेम सऱअ ओमअ सारजोहो
हमारो तो आवणो नी होय
जडी दिया बज्जर किवाड
अग्गल झडी लुहा की
भुआणा और निमाड अंचल में वैवाहिक मंडप में यह गीत गाया जाता है । इस गीत में दिवंगत परिजनों को स्मरण कर कहा गया है कि ओ स्वर्ग तक उडान भरने वाली गीधनी तुम हमारा एक संदेश हमारे पुरखों तक ले जाओ और उनसे कहना कि तुम्हारे घर बेटी का विवाह है । तुम्हें आना है । गीधनी के माध्यम से ही उत्तर आता है कि जैसे भी संभव हो इस विवाह को सम्पन्न करो हमारा अब आना कहॉ मुमिकन है ।
एक संदेशो लई जाव
सरग का दाजी ख यो कयजो
तुम घर छोरी को याव
जेम सऱअ ओमअ सारजोहो
हमारो तो आवणो नी होय
जडी दिया बज्जर किवाड
अग्गल झडी लुहा की
भुआणा और निमाड अंचल में वैवाहिक मंडप में यह गीत गाया जाता है । इस गीत में दिवंगत परिजनों को स्मरण कर कहा गया है कि ओ स्वर्ग तक उडान भरने वाली गीधनी तुम हमारा एक संदेश हमारे पुरखों तक ले जाओ और उनसे कहना कि तुम्हारे घर बेटी का विवाह है । तुम्हें आना है । गीधनी के माध्यम से ही उत्तर आता है कि जैसे भी संभव हो इस विवाह को सम्पन्न करो हमारा अब आना कहॉ मुमिकन है ।
गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009
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