हरदा की यात्रा
लोकजीवन की यात्रा
साल सवा साल से भोपाल में हूँ । दशहरे
का अवकाश मिला तो हरदा जाना हो गया । हरदा गया तो फिर अपने गॉंव दूलिया भी जाना हो
गया । इस बार बारिश दशहरे के एक दिन पहले तक होती रही । मुझे अपने गॉंव जाने के लिए
सिराली होकर जाना पडा । पहले तो मन में कोफ़्त थी पर कमताडा गांव आते आते मन आह्लाद
से भर उठा । कुछ बालकाऍ ' नरवत ' विर्सजन के लिए जा रही थी । बच्चियों का परिधान
तो पूरा बदल चुका था किंतु परंपरा बहुत हद तक शेष दिख रही थी । बहुत आग्रह करने पर
उन्होंने पचास रुपये की मांग करते हुए दो गीत सुनाये । अब नरवत के गीतों में भी
परिवर्तन हो रहा है । नरवत अर्थात नर के लिए व्रत नर अर्थात शिव । आप दोनों गीत संलग्न
वीडियो में देख सुन सकते हैं ।